मन भर गया है शायद अब आपका मुझसे।
मेरा मन भर आया ये बाते जानकर।
अभी तो सकून में हैं वो किसी और की होकर,
जनाब आग तब लगेगी जब हम भी किसी और के हो जाएंगे।
पुरानी यादों की किताब उठा कर मैंने देखी थी,
बीते साल मेरी थी इन दिनों में।
खुश है तू! अब मुझे कुछ नहीं चाहिए।
तेरी ख्वाब ही काफी है अब मुझे तू भी नहीं चाहिए।
झूठी मोहब्बत वाले मज़े में है बहुत।
सच्चे इश्क़ वाले देखो शायर बन गए।
खुद-कुशी का ये मेरा अपना ही तरीका है।
बेवजह बस तुमसे रूठ जाना।
मेरे लहजे में ये क्यों और कैसी बेबसी है ।
ज़िंदगी के लिए तू ही क्यों जरूरी है होती जा रही है।
ज़ख़्म झेले दाग़ भी खाए बहुत.
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत.
तेरे लहज़े में लाख मिठास सही मगर,
ज़हर सी लगती है मुझे तेरा किसी और से बात करना ।
यादों की जड़ें जो है फूट ही पड़ती हैं कहीं न कहीं।
दिल सूख तो जाता है लेकिन कभी बंजर नही होता।
तू कहाँ सुनता है मेरी।
फिर भी तुम्हें सब बताना आदत है मेरी।
जो मेरा है सिर्फ मेरा है,
अगर थोडा भी किसी का हुआ
तो मुझे चाहिये ही नहीं !
इज्जत खोने का डर हो तो मोहब्बत करना आज ही बंद कर दो,
इश्क़ की गलियों में अजाओगे तो चर्चो से कहाँ बच पाओगे।
मोहब्बत की ना-समझी में हम सब कुछ गँवा बैठे अपना।
उन्हें खिलौने की शौक और हमने दिल को खिलौना बना दे दिया।
पा नहीं सकते जिन्हे उम्र भर,
आज-कल सिलसिला उन्हीं से है।
नाज़ुक लगते थे,जो हसीन लोग,
वास्ता पड़ा तो,पत्थर निकले।
एक तरफा मोहब्बत !
चाह कर भी बयां नहीं हो सकती,
वो मोहब्बत जो एकतरफा हो
इंतजार लंबा हो तो चलता है..
पर एक तरफा हो तो बहुत दर्द देता है..
अभी आज़ाद कर देंगे तुम्हे चाहत की उम्र-कैद से मगर,
लेकिन वो शख्स ले आओ जो हमसे ज्यादा कद्र करे तुम्हारी।
यकीनन रुलाया तो होगा मेरी ना-मौजूदगी ने जरूर कई दफा,
जाते-जाते वो कह के गए थे मेरी इन आँखों का सुकून हो तुम।
उन्हें जाना था, हमने जाने दिया,
इस से ज्यादा वफा हम क्या करते…
जाओ मुर्शिद तुम्हे इजाज़त है
रूको!
जाते जाते सब दरवाज़े बंद कर जाना!
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे,
देखते हैं
अब तुझे हम कब याद आएंगे!
बाते करना शौक बन गया है तेरी अपनी मर्ज़ी से।
अपनी आदतें बदल लेना मेरे बदल जाने से पहले।
किस मोड़ पर तूमने बिछड़ने की सोची।
कई सालों के बाद तो संवरने के बारे में सोचा था मैंने।
हाथ बेशक मेरा छूट गया हो।
मगर वजूद उनकी अंगुलियों में ही फंसा रह गया।
उफ्फ ! ये खूबसूरत आंखें हसीन चेहरा
पड़ेगा इसका असर मेरे दिल पे गहरा।
ज़िंदगी की हसीन लम्हे तुम्हारे साथ है।
मौत के इंतजार के लम्हे तुम्हारे बाद है
अदब से पेश आओ,ये आशिको की महफ़िल हैं
यहा जाम बिखरे हुए है – दिल टूटे हुए हैं.
हारना जिंदगी में गलत नहीं है लेकिन?
चुप चाप बैठ जाना हार कर ये बात गलत है।
तुम्हारी हर बाते कई वक़्त पर याद आ जाती हैं,
पता नही लेकिन तुम्हे क्यूँ अपने साथ क्यों नही ले आती।
मामला ये नही की, मैं उन्हें भूल नहीं सकता।
मुद्दा तो ये है कि उसे भूलना ही क्यों है।
एक ही चाहत रखता हूँ मैं अपने दिल में ,
मोहब्बत से मुझे याद करो चाहे कई मुद्दत बाद करो।
कभी किसी से मिलते ही फैसला न किया कीजिये।
इंसान है आखिर कई – परतों में खुलता है।
ये दर्द भी क्या दर्द है
तुम पास भी खास भी और दूर भी।
मुझसे मेरी वफ़ा का सबूत मांग रहा है वो,
खुद बेवफ़ा हो के, मुझसे वफ़ा मांग रहा है वो।
दिन के हर पहर हम तेरे संग रहेंगे,
रात भर ख्वाब में तुमको देखा करेंगे।
छोड़ दिया चाँद का साथ हमने ये सोचकर,
जो रात का ना हुआ वो हमारा क्या होगा !
सुना है तुम्हे कुछ बातें पसंद नहीं है मेरी।
जनाब सीधे बोलो कि अब ये आदतें पसंद नहीं आती है मेरी।
जिंदगी अपाहिज़ सी हो गई है आज कल मेरी।
हर दो – चार कदम पर किसी न किसी सहारे की जरूरत पड़ती है।
अंदाज़ ए बयां में नरमी लाइए जनाब
लोग बात भूल सकते है लहजे नहीं।
कोई तो बताओ मेरी क्या है ख़ता।
मै हूं बदनसीब या वो है बेवफा।
वादों की तरह उनका इश्क भी आधा रहा,
मुलाकातें कम रही इंतजार कुछ ज्यादा रहा।
महकते गुलशन में आएँगे पंछी हजारों।
बिगड़े वक्त में कोई आए, तो बताना।
अपने शब्दों से ही उतर जाऊँ मैं ज़हन में तुम्हारे…
ये निगाहें – हुस्न और मुलाकात की मुझे कोई जरूरत नही।