Nafrat shayariNafrat is kadar hai tujhse 13/05/202013/05/2020 - 1 Comment दोस्त बन बन के मिलेमुझको मिटाने वाले।।मैंने देखे हैं कई रंग बदलने वाले।। नफरत इस कदर है तुझसेकी अब मौत जब भी आएतो मेरी आंखो में तुझसे बिछड़ने का ग़म ना हो। खुद पर बीते तो सच लगता हैदूसरों पे गुज़रे तो खेल लगता है।
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