Nafrat is kadar hai tujhse

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दोस्त बन बन के मिले
मुझको मिटाने वाले।।
मैंने देखे हैं कई रंग बदलने वाले।।

नफरत इस कदर है तुझसे
की अब मौत जब भी आए
तो मेरी आंखो में तुझसे बिछड़ने का ग़म ना हो।

खुद पर बीते तो सच लगता है
दूसरों पे गुज़रे तो खेल लगता है।